

देहरादून, 20 अप्रैल ।जँहा एक ओर देश को कोरोना वायर्स से बचाने के लिए लॉक डाउन जैसी स्तिथि का सामना करना पड़ रहा । वंही शासन प्रशासन स्वास्थ्य विभाग दिन रात अपने अपने स्तर से काम भी करता दिखाई दे रहा है वंही कुछ अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से आम मरीजों को इस अस्पताल से उस अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे है..


जी हाँ आज एक ऐसा ही मामला देहरादून में देखने को मिला, टी0बी0 जैसी गम्भीर बीमारी से जूझ रहा एक 56 वर्षीय विजेन्द्र नाम का बुजुर्ग व्यक्ति जिसको खून की उल्टी हुई तब वो नजदीकी अस्पताल विकासनगर पहुचा जँहा से उसे 108 से देहरादून रेफर कर दिया लेकिन दून के जिला अस्पताल कोरोनेशन पहुचने पर डॉक्टरों ने एक इंजेक्शन देने के बाद दून मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया वंहा से फिर कोविड 19 के लिए डेडिकेटेड अस्पताल बोल कर कोरोनेशन के लिए रेफर कर दिया गया इस बुजुर्ग के साथ कोई तीमारदार भी नही था और न ही चलने की सामर्थ थक हार के यह बुजुर्ग व्यक्ति जैसे तैसे विकासनगर फिर वापिस अपने घर जाने के लिए घण्टाघर पहुचा वँहा भी कोई साधन न मिलने से परेशान असहाय मरीज ने अपनी व्यथा डियूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों और पत्रकार पवन दीक्षित को बताई उसके बाद संवाददाता ने जिलाधिकारी, सीएमओ, अपर सचिव स्वास्थ्य, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज, सीएमएस कोरोनेशन को मैसेज कर सूचना दी तो जिलाधिकारी डॉ आशीष श्रीवास्तव, अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पन्त ने तत्काल मामले को गम्भीरता से लेते हुए एसडीएम सदर को मौके ओर भेजा एसडीएम ने मरीज से हाल जानने के बाद फ़ौरन फोन कर एम्बुलेंस बुलाई कोरोनेशन में भर्ती कराया इस दौरान एसडीएम ने भी माना विजेन्द्र का स्वास्थ्य ठीक नही है।
गोपाल बेनीवाल, एसडीएम सदर
विजेन्द्र , पीड़ित मरीज
हालांकि हमारे द्वारा दिये गए इस मैसेज से प्रशासन ने तत्काल संज्ञान जरूर लिया लेकिन विजेन्द्र जैसे ऐसे और भी बहुत से असहाय मरीज भी होंगे जिन्हें इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ।
आखिर अपनी खामियों की बजह से हमेशा सुर्खियों में रहने वाले राजधानी के कोरोनेशन और दून अस्पताल कब सुधरेंगे जबकि सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में गिने जाते है।