पढ़िए किस आधार पर मिलेगी आपको ईएमआई में राहत!

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आज आज का दिन उन लोगों के लिए निश्चित ही थोड़ा सुकून देने वाला हुआ जो पिछले काफी दिनों से अपने घर के अंदर कैद है बजे एकदम साफ है, कोरोनावायरस की वजह से आम आदमी हो या खास सभी के धंधे चौपट हो चुके हैं ऐसे में आम इंसान हो या खास तूने अपनी किस्त भरने का डर अलग सता रहा है जानते हैं आरबीआई ने ऐसी कौन सी छूट जनता के लिए लेकर आई है..आरबीआई ने बैंकों से लोन की ईएमआई दे रहे लोगों को 3 महीने तक के राहत की सलाह दी है. जो कि आम इंसान के लिए बड़ी राहत देने वाली है… लेकिन आरबीआई ने गेंद बैंको के खाते में सरकार है आरबीआई ने बिल्कुल साफ तौर से कहा है कि जिस बैंक से आपका लोन चल रहा है यह उसे क्या करना है कि वह आपकी ईएमआई देने में सहूलियत देता है या नहीं आरबीआई का सीधे तौर पर कहना है कि हमने यह कोई आदेश नहीं बल्कि बैंकों को ऐसी सलाह दी है कि आप अपने ग्राहकों को छूट दे सकते हो तो दे.. अगर बैंक इस स्थिति में आपको छूट दे भी देता है आपको उसका वेद प्रमाण देना होगा कि आपका आखिर जो भी कार्य है वह किस प्रकार से कोरोनावायरस से प्रभावित हुआ है अगर बैंक आप का अनुरोध मान लेती है तो उस परिस्थिति में यह नियम लागू होगा अगर बैंक इस परिस्थिति में आप का अनुरोध नहीं मानती है तो आपके खाते से किस्त काट ली जाएगी…

अगले 3 महीने तक आपको लोन की ईएमआई नहीं देनी पड़ेगी. लेकिन इसका मतलब ये नहीं हुआ कि इस अवधि की ईएमआई को माफ कर दिया जाएगा. कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म होने के बाद बैंक आपसे इन तीन महीनों की ईएमआई की भी वसूली करेंगे. यह सब निर्णय बैंक को ही लेने हैं बैंक आपसे किस अनुपात में किश्ते वसूल करता है आरबीआई ने सीधे तौर पर बैंक से अपील की है कि अगर बैंक चाहे तो वह अपने हिसाब से किस्तों को घटा और बड़ा कर ले सकता है यानी बैंक आपकी मासिक किस्त को बढ़ा भी सकता है इसके अलावा आपको टेन्योर के कुछ महीने बढ़ाने या वन टाइम सेटलमेंट का विकल्प भी दे सकता है. वन टाइम सेटलमेंट का जो समय आंकलन किया जा रहा है वो 6 से 9 महीने तक का मिल सकता है. क्रेडिट कार्ड टर्म लोन के तहत नहीं आते हैं और इन्हें रिवॉल्विंग क्रेडिट माना जाता है. ऐसे में इनके बिलों पर आपको कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं देती… एक बात जरूर है कि 3 महीनेे में एक बात जरूर है कि 3 महीने में आपका सिबिल रिपोर्ट खराब नहीं होगा..

आरबीआई के बयान पर गौर करें तो होम लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशनल लोन, कार लोन के अलावा अन्य तरह के रिटेल या कंज्यूमर लोन शामिल हैं. हालांकि, बिजनेस लोन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. यह लाभ सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों या किसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से टर्म लोन लेने वाले सभी ग्राहकों को मिलेगा…

आइए बात करते हैं एक्सपर्ट इस बारे में क्या कहते हैं और उनसे यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि आने वाले दिनों में यह राहत आफत तो नहीं बनने वाली…

आरबीआई की इस फैसले को लेकर आम जनता और एक्सपर्ट्स की राय एकदम जुदा है इस मुद्दे पर अभी बैंक और सीए अभी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है लेकिन जब हमारी बात नयाल सॉल्यूशननयाल सलूशन एंड सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के एमडी मनीष नयाल

जिनकी कंपनी करीब दो दशकों से फाइनेंस और बैंक के लिए कार्य कर रही है उनका एक्सपर्ट्स के रूप में मानना है  कि यह नियम कायदा पहले से बैंकों के लिए सरदर्द बन चुके डिफॉल्टर्स पर लागू नहीं होगा उनका सीधा सीधा मानना है कि जो डिफॉल्टर है उस पर बैंक अपने लिहाज से सोच-विचार कर ही 3 महीने की रियायत देगा जैसा कि आरबीआई ने भी कहा है आरबीआई के अनुसार उन्होंने बैंकों को कोई आदेश नहीं बल्कि एक अपील की है डिफाल्टर्स को अपनी पुरानी पेमेंट्स तो देनी होगी ये नियम एक मार्च से अगले तीन लेने के लिए लागू है ना कि पिछली किश्तो पर लागू होगी.. एक्सपोर्ट तो यह भी मानते हैं गरीब और ऐसे लोग जो अनपढ़ है लेकिन वह मजदूरी इत्यादि काम करते हैं टीवी चैनलों में देखकर यह मान चुके हैं कि सरकार ने 3 महीने की किस्ते उनकी माफ कर दी है ऐसे में बैंकों के लिए उन्हें समझाना एक मुश्किल टास्क होगा जिसमें रिकवरी ऑफिसर्स को ऐसे तबके को समझाने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी… जबकि सरकार ने 3 महीने की किस्तों को अर्जित करने के लिए कहा है ना कि उसे खत्म करने के लिए यह रिश्ते आने वाले 6 से 7 महीने में बैंक अपने सुविधानुसार अपने कस्टमर से काट लेगा या वसूल करेगा… अगर कोई अपनी 3 महीने किश्त नहीं देता तो उस पर ब्याज दर तो बनेगी ही…

 

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