साडा/एमडीडीए के आतंक के खिलाफ शासन में दी मोर्चा ने दस्तक

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देहरादून- साडा/एमडीडीए के आतंक एवं उसके मानकों में ढील प्रदान किये जाने को लेकर जनसंघर्ष मोर्चा प्रतिनिधिमंडल ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा | मुख्य सचिव ने कार्रवाई का भरोसा दिलाया |
नेगी ने कहा कि दून घाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) /मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एम0डी0डी0ए0) के जटिल मानकों की वजह से जनता आतंकित है तथा कई लोग डिप्रेशन का शिकार हो गये हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्राधिकरण के कड़े मानकों के चलते जरूरतमंद गरीब व्यक्ति एक छोटा सा मकान/दुकान बनाने हेतु मानचित्र पास कराने के उद्देश्य से प्राधिकरण के कई-कई चक्कर काटता है, लेकिन उसका मानचित्र स्वीकृत नहीं हो पाता, मजबूरन उसे प्राधिकरण की अनदेखी कर बिना मानचित्र स्वीकृत कराये निर्माण करना पड़ता है तथा निर्माण शुरू होते ही प्राधिकरण द्वारा सीलिंग/ध्वस्तीकरण का नोटिस थमा दिया जाता है।
नेगी ने कहा कि होना तो चाहिए कि प्राधिकरण को नई विकसित कालोनियों, माॅल, काॅम्पलेक्स पर ही अपने नियम लागू करने चाहिए, लेकिन पूर्व में गली-मौहल्ले में निर्मित भवनों, दुकानों के पुर्ननिर्माण/ नये निर्माण पर इन मानकों में ढील प्रदान की जानी चाहिए।
अति महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण क्षेत्रान्तर्गत भवन/दुकान निर्माण कराने वाला व्यक्ति इस फजीहत से बचने के उद्देश्य से नक्शा पास कराकर निर्धारित विभागीय शुल्क जमा कराना चाहता है, लेकिन फिर वही मानकों के अडंगे से उसे दो-चार होना पड़ता है। मानकों की जटिलता की वजह से मात्र 10-15 फीसदी मानचित्र ही स्वीकृत हो पाते हैं, जिस कारण सरकार को करोड़ों रूपये राजस्व की हानि होती है। इन कड़े मानकों का फायदा प्राधिकरण के कर्मचारी/अधिकारी/दलाल उठाते हैं।
मोर्चा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि प्राधिकरण क्षेत्रान्तर्गत बिना अनुमति स्टोन क्रशर/स्क्रीनिंग प्लान्ट आदि तो खोले जा सकते हैं, लेकिन एक छोटा सा मकान/दुकान नहीं बनाया जा सकता |प्रतिनिधिमंडल में मोर्चा महासचिव आकाश पवार, सुशील भारद्वाज आदि थे।

 

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