2.0 सरकार का होगा सबसे बड़ा फ़ैसला: सफ़ेद कॉलर टोपीबाज के हाथ में अब होगी हथकड़ी!
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खबर शुरू करने से पहले एक सवाल कौंध रहा है कि क्या भगवान से भी बड़ा कोई हो सकता है? शायद ऐसा कभी नहीं हो सकता लेकिन कुछ लोग ऐसा भी है जो भगवान की शरण में रहते हुए खुद को ही भगवान समझने लगे है लेकिन कहते है ना चोरी करने के 100 तरीक़े और पकड़े जाने के 101…इस सत्य कहानी में इस किरदार को लोगों ने टोपीबाज के नाम की उपाधि दी है आइए जानते है कौन है ये श्रद्धालुओं के चढ़ावे पर ध्यान लगाता टोपीबाज जो अपने आप को CM, DM तो छोड़िए जनाब ये महाशय अपने आप को भगवान से बड़ा समझने लगा है.. लेकिन जब इस करतूत का पता राज्य के एक कबिना मंत्री को लगा कि जनाब टोपीबाज प्रदेश में भगवान के घर में रहकर लूट नहीं बल्कि डकैती डाल रहे है और इनको किसी से भी डर नहीं लगता तो मंत्री जी ने भी ढ़प्पा करने का मन बना लिया है और सर्वप्रथम उक्त टोपीबाज की जाँच के आदेश दे दिए है…
आइए जानते है कौन है ये टोपिबाज जिसने भगवान के घर में लूट मचा रखी है..
आपके प्रिय पोर्टल “ लोकजन टुडे” ने अभी हाल ही में इस खबर को प्रकाशित किया था जिसके बाद सरकार ने ऐक्शन लेते हुए टोपीबाज की जाँच के आदेश कर दिए है… मंदिर समिति के अधिकारियों के ऊपर जांच का शिकंजा बढ़ता चला जा रहा है अभी एक जांच पूरी भी नहीं हुई थी कि मंदिर समिति में की गई बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर बृहद जांच तत्काल प्रारंभ कराने के सरकार द्वारा उच्च स्तर पर आदेश दिए गए हैं। पूर्व में शासन की ओर से गढ़वाल मंडल आयुक्त को मंदिर समिति के वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सौंपी गई जांच अभी डीएम रुद्रप्रयाग और चमोली के स्तर पर गतिमान है जबकि अब सरकार की ओर से वर्ष 2012 से 2017 के बीच समिति के भीतर बड़े पैमाने पर हुई वित्तीय अनियमितता को लेकर जांच के बड़े आदेश जारी हुए हैं। इस बार जांच के केंद्र में समिति के जिम्मेदार लोगों व शासन की आंखों में धूल झोंक कर अपने मकसद को हासिल करने में माहिर मंदिर समिति में एकछत्र राज कर रहे छोटा भाई और जेठा भाई को जा रहा है। विश्वस्त सूत्रों के हवाले से खबर है कि मंदिर समिति से जुड़े व्यक्ति द्वारा वर्ष 2012 से 2017 के बीच व्यापक पैमाने पर हुए वित्तीय घोटाले की जांच की मांग करते हुए गंभीर आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा है प्रदेश सरकार में चमोली के प्रभारी मंत्री डॉ० धन सिंह रावत ने मामले की गंभीरता को भाँपते हुए मुख्य सचिव को वित्तीय अनियमितताओं की वृहद जांच तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश जारी किए हैं। बताया जा रहा है कि जांच के मुख्य बिंदुओं में वर्ष 2012 से 2017 के बीच 2014 में मंदिर समिति अधिनियम में निहित प्रावधानों के तहत 45 मंदिरों से अलग हटकर एक्ट का उल्लंघन कर पौड़ी के दूरस्थ इलाके में स्थित बिनसर मंदिर पर करोड़ों रुपया खर्च करने,पोखरी में शिवालय के नाम पर लाखों रुपए का गोलमाल बताया गया है। इसके अलावा जितने भी बिंदुओं को जांच की मांग में रखा गया है उनके केंद्र में पूरी तरीके से समिति में दो अधिकारी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए गए हैं। रहस्यपूर्ण तथ्य यह है कि निर्माण कार्य से भी अलग हटकर मंदिर समिति के हर खरीद-फरोख्त वह किसी भी मामले में आखिर एकमात्र इस टोपीबाज अधिकारी को ही क्यों इंवॉल्व रखा गया।मंदिर समिति के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के मामले में बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर 2012 से 17 के बीच शासन से प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए समिति के मुख्य अधिकारी का रोल भी इस पूरे घटनाक्रम में पूरी तरीके से लिपटा हुआ दिखाई प्रतीत हो रहा है। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों भ्रष्टाचार के तमाम मामलों को लेकर मंदिर समिति के दो बड़े अधिकारी चर्चाओं के केंद्र में रहे थे। प्रभारी मंत्री ने मुख्य सचिव के साथ ही शासन के संस्कृति व धर्मस्व सचिव को भी मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। शासन के उच्च स्तर से होने वाली इस जांच से मंदिर समिति के भीतर किसी बड़े रहस्य का पर्दाफाश होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
न केवल भारत बल्कि विश्व के करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों के आस्था व विश्वास के केंद्र भारत के चार धामों में से सर्वश्रेष्ठ धाम श्री बद्रीनाथ व श्री केदारनाथ के भगवान की तिजोरी पर किस ढंग से डाका डाला गया है इसका पुख्ता प्रमाण सामने दिखाई दे रहा है बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के दो अधिकारियों ने मंदिर अधिनियम 1939 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भगवान के खजाने से करोड़ों लुटा दिए हैं
मंदिर समिति में लंबे समय से मठाधीशी कर रहे बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के टोपी बाज लगातार समिति में टप्पे बाजी कर रहा है यह मामला पहली बार तब प्रकाश में आया जब धर्मस्व सचिव हरीश सेमवाल के द्वारा गढ़वाल कमिश्नर को इस संबंध में जांच सौंपी गई जिसके बाद गढ़वाल कमिश्नर के द्वारा जांच जिलाधिकारी चमोली और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग को दे दी गई अभी इस संबंध में जांच चल ही रही थी एक और जांच ने बद्रीनाथ और केदारनाथ में सर्द हवाओं में गर्मी पैदा कर दी इस बार मंदिर समिति के एक माननीय द्वारा प्रभारी मंत्री चमोली डॉक्टर धन सिंह रावत को कड़े शब्दों में शिकायती पत्र दिया गया है जिसके बाद मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत के द्वारा मुख्य सचिव को जांच के संबंध में आदेश दिए गए हैं देशभर के ब्यूरोक्रेट्स में साफ और स्वच्छ छवि के अधिकारी एसएस संधू जो सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क रखते हैं वह अब इस मामले में कठोर फैसला लेने जा रहे हैं क्योंकि मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष आस्था का केंद्र कहे जाने वाले केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर समिति से जुड़ चुका है सूत्रों के अनुसार प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी समाचार पत्र के माध्यम से इस मामले की गंभीरता को समझ चुके हैं सरल स्वभाव स्वच्छ छवि लेकिन भ्रष्टाचार के प्रति कड़क रवैया अपनाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले को लेकर अब स्वयं कड़ी कार्रवाई करने जा रहे हैं
बताया जा रहा है कि जांच के मुख्य बिंदुओं में वर्ष 2012 से 2017 के बीच 2014 में मंदिर समिति अधिनियम में निहित प्रावधानों के तहत 45 मंदिरों से अलग हटकर एक्ट का उल्लंघन कर पौड़ी के दूरस्थ इलाके में स्थित बिनसर मंदिर पर करोड़ों रुपया खर्च करने,पोखरी में शिवालय के नाम पर लाखों रुपए का गोलमाल बताया गया है। इसके अलावा जितने भी बिंदुओं को जांच की मांग में रखा गया है उनके केंद्र में पूरी तरीके से समिति में दो अधिकारी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए गए हैं। रहस्यपूर्ण तथ्य यह है कि निर्माण कार्य से भी अलग हटकर मंदिर समिति के हर खरीद-फरोख्त वह किसी भी मामले में आखिर एकमात्र इस अधिकारी को ही क्यों इंवॉल्व रखा गया। इस अधिकारी का एक कारनामा अभी कुछ दिनों पहले ही प्रकाश में आया है गुप्त सूत्रों के द्वारा मालूम चला है कि मंदिर समिति के कर्मचारियों को इस अधिकारी के द्वारा अपने घर के घरेलू कामकाज के लिए रखा गया है इतना भी हो जाता तो बात आगे नहीं बढ़ती हद तो तब हो गई जब इसके द्वारा श्रीनगर अपने ससुराल में घरेलू कामकाज और अपने ससुर की देखभाल के लिए मंदिर समिति श्रीनगर धर्मशाला के कर्मचारी को विशेष तौर पर नियुक्त किया गया है वह कर्मचारी इस अधिकारी के बीमार ससुर की विशेष देखभाल करता है और सिर्फ हाजिरी लगाने के लिए डालमिया धर्मशाला मंदिर समिति में आ जाता है इस संबंध में जब श्रीनगर मंदिर समिति धर्मशाला के मैनेजर से पूछा गया तो उनके द्वारा यह तर्क दिया गया मंदिर समिति में उस कर्मचारी की ड्यूटी दो शिफ्ट में रखी गई है लेकिन जब उनसे यह पूछा गया और कितने कर्मचारी शिफ्ट में काम करते हैं तो मैनेजर जवाब नहीं दे पाए कुल मिलाकर मंदिर समिति में जिसकी लाठी उसकी भैंस फार्मूला चल रहा है
मंदिर समिति के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के मामले में बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर 2012 से 17 के बीच शासन से प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए समिति के मुख्य अधिकारी का रोल भी इस पूरे घटनाक्रम में पूरी तरीके से लिपटा हुआ दिखाई प्रतीत हो रहा है। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों भ्रष्टाचार के तमाम मामलों को लेकर मंदिर समिति के दो बड़े अधिकारी चर्चाओं के केंद्र में रहे थे। शासन के उच्च स्तर से होने वाली इस जांच से मंदिर समिति के भीतर किसी बड़े रहस्य का पर्दाफाश होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
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