2013 की आपदा के बाद केदारनाथ ने तोड़े सारे रिकॉर्ड

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Report By Kuldeep Rawat “Lokjan Today”

साल 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद केदारनाथ में जो भी पुनर्निर्माण कार्य हुआ चाहे वह हरीश रावत की सरकार में हो या मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में केन्द्र और राज्य सरकार ने केदारनाथ में जो पुनर्निर्माण कार्य किए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लगातार 4 बार बाबा के दरबार में पहुंचना केदारनाथ यात्रा को पटरी पर लाने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुआ है। यही कारण है कि केदारनाथ की यात्रा दिनों-दिन नए कीर्तिमान स्थापित करती जा रही है और पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करती जा रही है।

केंद्र और राज्य सरकार ने पुनर्निर्माण कार्यो को दी गति
जानकारी के अनुसार, साल 2013 की आपदा ने केदारनाथ की यात्रा को ऐसा छिन्न-भिन्न कर करके रख दिया था कि उसके पटरी पर लौटने की उम्मीद अगले 15-20 तक धूमिल हो गई थी लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शीतकाल की हाड़ कंपाती ठंड में भी पुनर्निर्माण का कार्य जारी रखा और उसके बाद भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकार ने भी इन कार्यों को नई गति प्रदान की। खास तौर पर प्रधानमंत्री लगातार 4 साल केदारनाथ धाम में आए, जिससे देश-विदेश में भी केदारनाथ त्रासदी का जो भय था वह खत्म हो गया।

55 दिनों की यात्रा में 7 लाख से अधिक यात्रियों ने किए दर्शन

इसी का परिणाम है कि साल दर साल केदारनाथ यात्रा नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। पिछले साल जहां 6 महीने में 7 लाख 32 हजार तीर्थ यात्रियों ने दर्शन किए थे जो अपने आप में नया रिकार्ड था लेकिन इस साल इस आंकड़े को डेढ़ महीने में ही पार करते 55 दिनों की यात्रा में 7 लाख 64 हजार तीर्थयात्रियों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन कर लिए हैं। जबकि अभी लगभग 4 महीने की यात्रा और शेष है। ऐसे में स्वाभाविक है कि आने वाले दिनों में और भी नए रिकॉर्ड बनते जाएंगे। केदारनाथ यात्रा के पटरी पर लौटने से जहां स्थानीय डंडी-कंडी, घोड़े-खच्चर संचालकों सहित स्थानीय लोगों के व्यवसाय में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है।

व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखना प्रशासन के लिए बनी चुनौती
बता दें कि केदारनाथ यात्रा में लगातार हो रही वृद्धि के कारण प्रशासन के लिए व्यवस्थाएं बनाना बड़ी चुनौती भी बनी हुई है। भारी संख्या में केदारनाथ धाम और उसके निचले पड़ावों पर तीर्थ यात्रियों का जमावड़ा लग रहा है जिससे वहां मौजूद व्यवस्थाएं कम पड़ रही हैं जिसका फायदा उठाकर व्यापारी भारी मंहगे दाम लगा रहे हैं। ऐसे में आने वाले सालों में प्रशासन को इन व्यवस्थाओं का और भी दुरूस्थ बनाने होंगे।

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