लोक कलाओं को संरक्षित करने के लिए जरूरी है कि उसे लोगों की भावनाओं के साथ बाजार से जोड़ दिया जाए: हेमलता कबड़वाल

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https://youtu.be/PA1fc00k9fY

नैनीताल: 7 साल से लगातार कुमाऊं की लोककला ऐपण के क्षेत्र में कार्यरत उत्तराखंड अपनी अनूठी सांस्कृति और लोक कलाओं के लिए जाना जाता है।
इन्हीं में से एक ऐपण (aipan) कला प्रदेश को विशेष पहचान देती है। शुभ कार्यों और धार्मिक अनुष्ठानों में इसका खासा महत्व है।

इसके महत्व और विशेष पहचान को देखते हुए हेमलता कबड़वाल ने इसे अलग पहचान दी है।हेमलता का कहना है कि लोक कलाओं को संरक्षित करने के लिए जरूरी है कि उसे लोगों की भावनाओं के साथ बाजार से जोड़ दिया जाए। ऐपण के डिजाइन वाले प्रोडक्ट की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है।

हेमलता ने बताया कि अल्मोड़ा के लाला बाजार के मार्केट की रिसर्च के बाद आभास हुआ कि उत्तराखंड की यह कला हजारों लोगों के लिए खासकर महिलाओं के लिए रोजगार का बड़ा माध्यम बन सकती है। आज ऐपण (aipan) के डिजाइन की बड़ी मांग है। जूट बैग, रेडिमेड गारमेंटस, पिलो कवर, चाय के कप, नेम प्लेट से लेकर चाबी के छल्ले, रिंग, पूजा की थाली आदि प्रोडेक्ट पर ऐपण (aipan) की पेंटिंग को लोग खूब पसंद कर रहे हैं।

हेमलता ने बताया कि वह एक एनजीओ के माध्यम से जुड़े महिलाओं के लिए मार्केट तैयार करने में जुटी हैं। इसके लिए ऑनलाइन व आफलाइन दोनों प्लेटफार्म पर तैयारी की जा रही है व इसके साथ साथ समाज कल्याण विभाग पारंपरिक कला ऐपण के माध्यम से लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक भी कर रहा है।
इसके लिए विभाग अपने कार्यालयों, स्कूल व हॉस्टलों की दीवारों पर ऐपण पेंटिंग बनाएगा।

केंद्र सरकार की ओर से समाज कल्याण विभाग को नशामुक्ति कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जैसे कि आज के युवाओं में नशे को लेकर जागरूकता रहे और युवा नशे की गर्त में ना जाएं जिसको लेकर जल्दी ऐपण के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम भी किया जाएगा।