Report By: कुलदीप रावत
LokJan Today: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने 3 साल बेमिसाल कार्यक्रम के जश्न की तैयारियों में डूबी है स्वयं स्वास्थ्य विभाग और भारी-भरकम पीडब्ल्यूडी का जिम्मा संभाल रहे मुख्यमंत्री अपने प्रदेश की दर्द से ही वाकिफ नहीं है सड़क और स्वास्थ्य पहाड़ों में रहने वाले ग्रामीणों का दर्द बन गया है एक तरफ सरकार पलायन पलायन का भोकाल मचाती है बड़े-बड़े इवेंट कार्यक्रम में करोड़ों रुपए खर्च करके उत्तराखंड के प्रवासियों को वापस बुलाती है दूसरी तरफ जो लोग पलायन थामे हुए हैं उन्हीं को जरूरतमंद सुविधाओं से वंचित कर रही है एक छोटा सा उदाहरण भी बताना चाहूंगा पिछले दिनों चमोली जिले में चोटिल हो चुके एक युवक को सरकार हेलीकॉप्टर तक मुहैया ना करा सकी जिसके बाद ग्रामीणों ने फिर चंदा इकट्ठा करके हेलीकॉप्टर कंपनी को पैसा देकर घायल युवक की जान बचाई दूसरी घटना
ओखलकांडा ब्लाक के गहना गांव में यदि कोई बीमार या चोटिल हो जाए तो उसका जीवन बचाना डॉक्टर के लिए भी भारी पड़ जाता है ऐसा इसलिए यह दुर्गम गांव सड़क मार्ग से 9 किलोमीटर दूर है सड़क मार्ग तक आने के लिए उबड़ खाबड़ पहाड़ नदी नाले पार करने होते हैं


इस गांव की तुलसी देवी घास काटते समय असंतुलित होकर खाई में गिर गई । तुलसी देवी के गंभीर चोट आई जिससे उसे नजदीकी अस्पताल ले जाना जरूरी हो गया । तुलसी देवी चलने में असमर्थ थी इसलिए पहले कुछ युवक़ों की टीम तैयार की गई । फिर एक डोली बनाई गई, जिसपर घायल तुलसी देवी को बैठाया गया । युवाओं ने तुलसी देवी की डोली उठाई और उबड़ खाबड़ रास्तों से होते हुए नजदीकी मोटर मार्ग पहुंचने का रास्ता तय किया । पगडंडी के रास्ते होते हुए युवाओं ने नदी नाले पार किये और तुलसी देवी को नौ किलोमीटर दूर हल्द्वानी मोटर मार्ग तक पहुंचाया । तुलसी देवी को कार से हल्द्वानी पहुंचाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है । अब आप स्वयं आकलन लगा सकते हैं इमरजेंसी की हालत में यदि किसी मरीज को गांव से नीचे मोटर मार्ग तक ले जाया जाता है तो वह रास्ते में ही दम तोड़ देगा उत्तराखंड के दूरस्थ जिलों में ऐसे न जाने कितने गांव ग्रामीण हैं जो समय पर इलाज न मिलने के कारण काल के गर्त में चले जा रहे हैं ऐसे न जाने कितने और गांव हैं जिस गांव के ग्रामीणों का सिर्फ भगवान ही मालिक है

