बचकर अस्पताल के दलालों से वरना पैसों के साथ जान से भी हाथ धोना पड़ेगा देहरादून में डॉक्टरों से नहीं दलालों से चल रहे निजी अस्पताल .. ?

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देहरादून
आप कभी यदि बस या ट्रेन से कहीं सफर करते हैं उसके बाद आपने ऑटो रिक्शा वालों को ऑटो टैक्सी टैक्सी कहते हुए खूब सुना होगा उसी प्रकार राजधानी के सरकारी अस्पतालों में दलालों के द्वारा सस्ते में इलाज के बहाने कैसे मरीजों को दलालों के द्वारा फर्जी निजी अस्पतालों में पहुंचाया जाता है मरीजों के तीमारदारों को लूटा जाता है आज हम आपको बताएंगे ।
पहले आप यह वीडियो देखिए
कैसे ऋषिकेश एम्स के बाहर दलाल मरीजों के परिजनों को निजी अस्पतालों में ले जाते हैं सुनिए और देखिए यह वायरल वीडियो
हालांकि यह वीडियो कुछ महीने पुराना है
( यह सभी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है लोकजन टुडे इसकी पुष्टि नहीं करता)
जैसे ही अस्पताल में आईसीयू या बेड फुल हो जाते हैं उसके बाद यह गैंग कैसे एक्टिव होकर मरीजों के परिजनों से मोटे कमीशन के चक्कर में अपने चहेते प्राइवेट अस्पतालों में रेफर करते हैं।
देखिए वीडियो राजधानी देहरादून के एक निजी अस्पताल में कैसे मरीज के परिजन हंगामा कर रहे हैं
यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है
 उत्तराखंड का सबसे बड़ा अस्पताल ऋषिकेश एम्स में यह गैंग सबसे ज्यादा सक्रिय है यहां एंबुलेंस चालकों के गुटों के बीच में अक्सर तनातनी का माहौल रहता है मरीजों को अपने चहेते अस्पतालों में रेफर करने को लेकर अक्सर यह गुट एक-दूसरे से भिड़ जाते हैं
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश एम्स में एक बार फिर से रेफरल गिरोह सक्रिय हो गया है यह रेफरल गिरोह मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर तीमारदारों को लूट रहा है यहां इस गैंग के सदस्य मरीजों के परिजनों पर सस्ते में इलाज का लालच देकर देहरादून के फर्जी अस्पतालों में इलाज के लिए सस्ते के लालच में लेकर आते  हैं हालांकि अस्पताल के द्वारा बाद में मरीजों के परिजनों को मोटा बिल थमा दिया जाता है
कुछ दिनों पूर्व ऋषिकेश एम्स में एक दलाल का वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें वह ऋषिकेश एम्स से देहरादून के दून अस्पताल के नजदीक एक फर्जी अस्पताल में इलाज करने की बात कह रहा था हालांकि उसके बाद ऋषिकेश एम्स के द्वारा उस दलाल को एम्स परिसर में प्रतिबंधित कर दिया गया था कुछ दलाल के द्वारा जिस अस्पताल का नाम उस वीडियो में लिया जा रहा था अभी कुछ दिन पहले उसी अस्पताल में सस्ते में इलाज कराने के बाद मोटा बिल जब मरीजों के परिजनों से वसूल किया जा रहा था तो अस्पताल में बड़ा हंगामा हो गया था अभी कुछ दिनों पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की गई थी जिसमें स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा निर्देश दिए गए थे ऐसे फर्जी अस्पतालों को चयनित कर उन पर कार्रवाई की जाए लेकिन ऐसा लगता है स्वास्थ्य विभाग के इन अधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री के इस निर्देश को गौर से नहीं सुना या फिर यह लोग अपने मोटे कमीशन के चक्कर में ऐसी कार्रवाई करने से बच रहे हैं। आखिर दून अस्पताल के ही इर्द-गिर्द ऐसे फर्जी अस्पतालों का संचालन बिना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मर्जी के बगैर कैसे हो सकता है
स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों की सरपरस्ती में ही ऐसे फर्जी अस्पतालों का गोरखधंधा राजधानी देहरादून में चल रहा है देहरादून के सीएमओ चंद कदमों की दूरी पर भी आंखें बंद किए हुए बैठे हुए हैं।
 राजधानी देहरादून में ऐसे कई अस्पताल हैं जो स्वास्थ्य विभाग के मानकों पर खरे नहीं उतरते डॉक्टरों को ऑन काल पर ही बुलाया जाता है बाकी अस्पताल में एक भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है लेकिन अस्पताल चल रहे हैं इन अस्पतालों में सिर्फ रहते हैं तो दलाल जो बाहर से मरीजों को इन अस्पतालों में पकड़कर लाते हैं और तब अस्पताल के द्वारा इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाया जाता है उसके बाद मोटा बिल थमा कर मरीजों के परिजनों को लूटा जाता है
देहरादून के एक निजी अस्पताल के संचालक सोहन सिंह सिंह चौहान ( बदला हुआ नाम) बताते हैं कि हमारे अस्पताल में 10 से 12 डॉक्टर हर समय उपलब्ध रहते हैं जिसमें न्यूरो मेडिसन सर्जिकल गायनी यह सभी डॉक्टर 24 घंटे अस्पताल में सेवाएं देते हैं लेकिन राजधानी देहरादून के कई अस्पताल ऐसे हैं जहां पर बिना डॉक्टरों के अस्पताल संचालित हो रहे हैं इस संबंध में कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग कोई एक्शन नहीं लेता हमारे द्वारा भी ज्यादा दबाव नहीं डाला जा सकता आखिर पानी में रहकर मगर से भी बैर नहीं कर सकते।
देखिए कितने अस्पताल हैं राजधानी देहरादून में जिनकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंच चुकी है शिकायतकर्ता के द्वारा हमसे शिकायती पत्र शेयर किया गया है नाम न छापने की शर्त पर हमारे द्वारा यह पत्र प्रकाशित किया जा रहा है
स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत को शिकायतकर्ता के द्वारा शिकायती पत्र
जिसके बाद अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि स्वास्थ्य मंत्री तक इस मामले में पूरी रिपोर्ट पहुंच चुकी है इन दिनों ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों और अस्पतालों की लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई की नपाई चल रही है अर्थात इनकी पूरी हिस्ट्री निकाली जा रही है आखिर स्वास्थ्य विभाग के किन अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा ऐसे फर्जी अस्पतालों का गोरख धंधा राजधानी में फल-फूल रहा है स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा एक बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अल्टीमेटम भी दिया जा चुका है जिसके बाद आप स्वास्थ्य मंत्री का हंटर किसी भी दिन स्वास्थ्य विभाग के इन आला अधिकारियों पर पड़ सकता है।