भारतीय सैन्य अकादमी ने आज 1 अक्टूबर को मनाया अपना 90वां स्थापना दिवस जानिए IMA से जुड़े इतिहास के बारे में
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भारतीय सैन्य अकादमी ने 01 अक्टूबर 2022 को अपना 90वां स्थापना दिवस मनाया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल वीके मिश्रा एवीएसएम, कमांडेंट, भारतीय सैन्य अकादमी ने आईएमए बिरादरी को उनके समर्पण और उच्च मानकों को बनाए रखने में योगदान के लिए सराहना की।
उन्होंने याद दिलाया कि आईएमए ने अच्छी तरह से प्रशिक्षित और पेशेवर रूप से सक्षम अधिकारियों को नियुक्त करके राष्ट्र की उत्कृष्ट सेवा की है। उन्होंने सेवा और नागरिक कर्मचारियों से काम करने का आग्रह किया।
अकादमी के लिए और भी अधिक प्रशंसा करते हुए कहा कि उत्साह और तालमेल के साथ आईएमए पिछले 89 वर्षों में 01 अक्टूबर 1932 को अस्तित्व में आया, अकादमी अपनी प्रशिक्षण क्षमता में 40 जीसी से बढ़कर 1650 जीसी टीआई तिथि, 64.145 जेंटलमैन कैडेट्स हो गई है। अकादमी के गौरवशाली पोर्टलों से अधिकारियों के रूप में उत्तीर्ण हुए, जिसमें 34 मित्र देशों के 2013 विदेशी जेंटलमैन कैडेट शामिल हैं।
अकादमी का एक समृद्ध इतिहास है और इसके पूर्व छात्रों ने सैन्य और खेल गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में निष्कासित कर दिया है। उन्होंने कई युद्धक्षेत्रों में वीरतापूर्ण वीरता और उत्कृष्ट नेतृत्व की कहानियां गढ़ी हैं, कई वीरता पुरस्कार जीते हैं। 699 बहादुर पूर्व छात्रों ने देश की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया है
आइए आपको बताते हैं भारतीय सैन्य अकादमी का इतिहास
उत्तराखंड के देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में जांबाज सैन्य अफसर तैयार किए जाते हैं। इसका इतिहास वर्ष 1932 से शुरू होता है। उस समय मात्र 40 कैडेट से शुरू हुई अकादमी आज देश ही नहीं मित्र देशों को भी सैन्य अधिकारी दे रही है।
आज आपको हम देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी के इतिहास से रूबरू कराते हैं। अंग्रेजों ने इसकी स्थापना एक अक्टूबर 1932 में की थी। उस समय इस अकादमी से सिर्फ 40 कैडेट्स पास आउट हुए थे। आप जानकर हैरान होंगे कि इस अकादमी से भारत ही नहीं, म्यांमार और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष भी पासआउट हुए हैं। आपको बता दें कि वर्ष 1932 से पहले भारतीय सैन्य अफसरों की ट्रेनिंग इंग्लैंड के सैंडहर्स्ट के रायल मिलिट्री एकेडमी में होती थी।
वर्ष 1932 में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस आइएमए के प्रथम कमांडेंट बने थे। 40 कैडेट के साथ पहला बैच शुरू हुआ, जिसे पायनियर का नाम दिया गया। इसी बैच में फील्ड मार्शल सैम मानेक शाह, म्यांमार के सेनाध्यक्ष स्मिथ डन और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी शामिल रहे। आइएमए का उद्घाटन 10 दिसंबर 1932 को फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्ल्यू चैटवुड ने किया । आइएमए (IMA) की मेेेन बिल्डिंग को उन्हीं के नाम से जाना जाता है।
वर्ष 1947 में भारतीय सैन्य अकादमी की कामन ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह को दी गई। वर्ष 1949 में अकादमी का नाम सुरक्षा बल अकादमी रखा गया। इसकी एक शाखा देहरादून के क्लेमेनटाउन में खोली गई। इसका नाम नेशनल डिफेंस अकेडमी (एनडीए) रखा। पहले सेना के तीनों विंगों को ट्रेनिंग क्लेमेनटाउन में दी जाती थी। वर्ष 1954 में एनडीए को पुणे स्थानांतरित कर दिया। तब इसका नाम मिलेट्री कालेज रखा गया। वर्ष 1960 में संस्थान का नाम भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) रखा गया। तत्कालीन राष्ट्रपति डा एस राधाकृष्णन ने 10 दिसंबर 1962 को पहली बार अकादमी को ध्वज प्रदान किया। आपको बता दें कि साल में दो बार जून माह और दिसंबर माह के दूसरे शनिवार को आइएमए में पासिंग आउट परेड होती है।
अकादमी में आठ राष्ट्रपति पासिंग आउट परेड की ले चुके हैं सलामी 1956 में देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा। 1956 में डा. राजेंद्र प्रसाद। 1962 में डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन। 1976 में फखरुद्दीन अली अहमद। 1992 में आर वेंकटरमन। 2006 में एपीजे अब्दुल कलाम। 2011 में प्रतिभा देवी पाटिल। 2021 में राम नाथ कोविंद।
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