अब दुर्गम क्षेत्र में मरीजों को उपचार के लिए डंडी कंडी की जगह ड्रोन से लाया जाएगा

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आपातकाल के समय अक्सर पहाड़ों से दूरस्थ क्षेत्रों में मरीजों को ग्रामीणों के द्वारा डंडी कंडी के सहारे उपचार के लिए ले जाया जाता है जिसमें कई बार सही समय पर इलाज न मिलने के कारण अनहोनी का खतरा बना रहता है l

लेकिन अब सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो दुर्गम से दुर्गम क्षेत्र के मरीजों को ड्रोन के सहारे लिफ्ट करने पर कार्य योजना बनाई जा रही है l हालांकि ऐसी परिस्थिति में खतरा काफी अधिक है लेकिन इन सब चीजों के मद्देनजर एक सटीक कार्य योजना पर कार्य चल रहा है l

इसी के मद्देनजर आईटीडीए ह्यूमन लिफ्टिंग ड्रोन तकनीकी पर काम कर रहा है।

सड़क से अछूते पहाड़ के गांवों से मरीजों को कंधों पर लादकर अस्पताल तक पहुंचाने की पीड़ा का अंत अब जल्द हो जाएगा। इन गांवों से मरीजों को अब ड्रोन के सहारे एंबुलेंस तक पहुंचाया जा सकेगा। ऐसा ड्रोन विकसित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) और आईआईटी रुड़की ने हाथ मिलाया है। यह ड्रोन आपदा की स्थिति में भी बेहद कारगर साबित होगा।

मरीजों को डंडी-कंडी के सहारे सड़क तक पहुंचाने की जुगत में लगे लोगों की तस्वीरें अक्सर सामने आती हैं। वहीं, आपदा के दौरान पुल या सड़क टूटने से प्रभावित क्षेत्र में मदद पहुंचने में भी देर होती है। ऐसी स्थिति में घायल लोग जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहते हैं। 2013 में केदारनाथ और इसी साल टिहरी जिले में आई आपदा में ऐसा ही हुआ था।

इसी के मद्देनजर आईटीडीए ह्यूमन लिफ्टिंग ड्रोन तकनीकी पर काम कर रहा है। आईटीडीए के तकनीकी विशेषज्ञों का मकसद है कि कम से कम 120 किलो वजन उठाने वाले ड्रोन तैयार किए जाएं। जल्द ही इसके ट्रायल भी शुरू हो सकते हैं।

 

नवनेत्र से बचाव दल को हुई सहूलियत

आईटीडीए ने आपदा प्रबंधन विभाग के लिए नवनेत्र ड्रोन तैयार किया है। यह ड्रोन आपदा प्रभावित क्षेत्र में फंसे लोगों की पहचान कर बचाव दल को पूरी सूचना उपलब्ध कराता है। नवनेत्र अब तेजी से आपदा प्रबंधन विभाग की तीसरी आंख साबित हो रहा है।

 

हम नवनेत्र तैयार कर चुके हैं। अब ह्यूमन लिफ्टिंग ड्रोन तकनीकी पर काम चल रहा है। आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर जल्द ही यह ड्रोन तैयार हो जाएगा। 120 किलो वजन के साथ इसका ट्रायल किया जाएगा।
– अमित सिन्हा, निदेशक, आईटीडीए।