पीसीसी सदस्य चयन को लेकर कांग्रेस में विरोध तेज हो रहे लगातार इस्तीफे

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देहरादून

 

उत्तराखंड में नए पीसीसी सदस्यों के चयन को लेकर बवाल खड़ा हो गया है

कांग्रेस के पूर्व राज्य मंत्री श्री राजेंद्र शाह ने इस चयन को लेकर सवाल खड़े किए हैं

दरअसल पूर्व में चुनाव लड़े गए विधायकों को ही पीसीसी का सदस्य बनाया गया है ऐसे में कार्यकर्ताओं में इससे नाराजगी पैदा हो गया है दबी जुबान में कार्यकर्ताओं का कहना है कि जो नेतागण चुनाव लड़ चुके हैं उन्हें भी पीसीसी का सदस्य बनाना उचित था

कांग्रेसी नेता राजेंद्र शाह  फेसबुक पर लिखते हैं

पी,सी,सी के नवनिर्वाचित सभी साथियों को बधाई हार्दिक शुभकामनाएं 
साथ पी,आर,ओ ए,पी,आर,ओ अन्य को भी बधाई जिन्होंने सिर्फ और सिर्फ उन्हीं लोगों को सदस्य बनाया जिन्होंने ज्यादा से ज्यादा मेंबर बनाए

अब जिसके बाद कांग्रेस में PCC पद से पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के बेटे अभिषेक चौहान और पिथौरागढ़ मयूख महर के द्वारा पीसीसी के पद से इस्तीफा दे दिया गया है
इस इस्तीफे के पश्चात अब पीसीसी सदस्यों की नियुक्ति पर कांगेस में विरोध तेज हो गया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के बेटे अभिषेक चौहान के बाद अब पिथौरागढ़ के विधायक मयूख महर ने भी पीसीसी सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। मयूख का कहना है कि जो लोग अपने बूथ पर ही कांग्रेस को नहीं जिता पाए थे, उन तक को पीसीसी सदस्य का अहम पद दे दिया गया है।
मेरी जगह किसी वरिष्ठ को सदस्य बनाया जाए
पूर्व नेता प्रतिपक्ष के बेटे अभिषेक चौहान ने इस्तीफा देते हुए कहा कि वो पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता हैं। कई वरिष्ठ कार्यकर्ता पीसीसी सदस्य बनने से रह गए हैं। मेरी जगह किसी वरिष्ठ नेता को यह सम्मान दिया जाना चाहिए। कांग्रेस परिवार की मजबूती के लिए यह जरूर है कि वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी न हो।
जिसके पश्चात अब
कांग्रेस के एससी विभाग के सचिव नेमचंद्र सूर्यवंशी ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। लंबे समय से निष्कासित नेमचंद की कुछ समय पहले ही प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सूर्यवंशी की दोबारा वापसी कराई थी। नेमचद्र ने अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा कि वो  वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से निराश हैं। क्या हम दरी बिछाने और झंडे उठाने के लिए ही है और सम्मान पाने के लिए चाटूकार लोग
अब देखना होगा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किस प्रकार इस डैमेज को कंट्रोल कर पाने में कामयाब हो पाते हैं क्योंकि कांग्रेस में गुटबाजी समाप्त करने में अभी तक करण महरा कामयाब नहीं हो सके हैं।