तो क्या वाकई उत्तराखंड में कांग्रेस का हार्ट किडनी लंग्स लीवर कुछ काम नहीं कर रहा क्या सच मे मल्टी ऑर्गन फैलियर है ?

Share your love

सोशल मीडिया से

कल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के समय बनी मीडिया कमेटी को भंग कर दिया है जब तक नई टीम का गठन नहीं हो जाता तब तक कांग्रेस के कुछ साथियों का नाम मीडिया पैनलिस्ट के लिए दिया गया है हालांकि उनमें अधिकतर वही पुराने टीम मेंबर है

यह किसी से छुपा नहीं है उत्तराखंड में पतली नहीं धीरे-धीरे कांग्रेस गायब हो रही है उसका  एक बड़ा कारण स्वयं कांग्रेस भी है मौजूदा समय में उत्तराखंड में कांग्रेस बिखर रही हैं

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों कि यदि मान ली जाए तो उनका कहना है भाजपा आलाकमान सहमत नहीं हो रहा वरना अभी भी कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज इस तरफ आने को तैयार बैठे हैं आखिर क्यों हो रही है कांग्रेस में ऐसी भगदड़ क्यों टूट रही है कांग्रेस इसको लेकर राजधानी देहरादून के वरिष्ठ पत्रकारों का अपना अलग-अलग मत है

फेसबुक के माध्यम से बहुत ही कड़े शब्दों में पत्रकार गुणानंद ज़ख्मोला लिखते हैं

(उनका लिखा हमने वैसे ही छाप दिया है)

जिंदा रहने के लिए लड़ाई नहीं, खानापूर्ति कर रही कांग्रेस
– मीडिया से बातचीत के लिए 25 में 20 नौसिखिए और बेकार
– दिल्ली की ताल पर ही नाचना है तो इन अग्निवीरों की क्या जरूरत?

चम्पावत उपचुनाव में घनघोर बेइज्जती कराने के बाद कांग्रेस को होश आना चाहिए था, लेकिन उत्तराखंड के कांग्रेसियों का नशा उतर ही नहीं रहा। उन्हें पता ही नहीं है कि कांग्रेस की किडनी, हार्ट, लंग्स, लीवर कुछ भी काम नहीं कर रहा है। मल्टी आर्गन फेल्योर का मामला है और इलाज सिरदर्द का कर रहे हैं। जिन 25 लोगों को मीडिया की जिम्मेदारी सौंपी है, उनमें यदि गरिमा, मथुरा दत्त जोशी, सूर्यकांत धस्माना, सुजाता पाल, डा. प्रतिमा सिंह को छोड़ दिया जाए तो बाकी नौसिखिया ही हैं। धीरेंद्र प्रताप आउटडेटिड हैं। उन्हें कोई भी पत्रकार सीरियसिली नहीं लेता। डा. आरपी रतूड़ी बूढ़े हो चुके हैं और उनका ज्ञान बहुत कम है। गरिमा का तैश में आना भी खतरनाक है। उन्हें कंट्रोल की जरूरत है। प्रतिमा से उनका टकराव भी जग-जाहिर है। सूर्यकांत धस्माना चुनाव हारने के बाद नेपथ्य में हैं यानी बहुुत ही डिप्रेस हैं।

ऐसी लूली-लंगड़ी मीडिया टीम के साथ कांग्रेस भाजपा के साथ राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, वेलफेयर स्टेट, संविधान पर खतरा, डेमोग्राफिक चेंज और मोदी के प्रति अंधभक्ति का जवाब कैसे देगी? मीडिया टीम में शामिल अधिकांश को राष्ट्रवाद या वेलफेयर स्टेट की परिभाषा भी नहीं पता होगी। कारण, ये लोग पढ़ते-लिखते हैं ही नहीं। मीडिया टीम में शामिल कई लोग राजपुर रोड पर कांग्रेस मुख्यालय में प्रापर्टी डीलिंग के लिए ही बैठते हैं। सेंटर प्लेस होने के कारण उनके क्लाइंट वहीं आ जाते हैं। यदि प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को लगता है कि दिल्ली की डपली पर नाचकर वह प्रदेश में जनाधार बढ़ा देंगे तो उनको यह खुशफहमी है। कांग्रेस मर रही है और उसको संजीवनी की जरूरत है।

मेरा कहना यह है कि मीडिया टीम को स्ट्रांग बनाना चाहिए था। मुद्दों पर रिसर्च होनी चाहिए। इतिहास और भूगोल ज्ञान भी जरूरी है। आंकड़े पता होने चाहिए और लेटेस्ट अपडेट भी। कांग्रेस में कई ऐसे अच्छे पढ़ाकू और जानकार हैं जो भाजपा की टीम को काउंटर अच्छे से कर सकते हैं। लेकिन यह विडम्बना है कि उनके पास आय के संसाधन नहीं हैं। कांग्रेस को चाहिए था कि ऐसे लोगों को भले ही मानदेय देना पड़े तो दें।
वरना महरा जी, आपके वश की बात नहीं है कि जनाधार बढ़ा सको, खतरा यह है कि कांग्रेस के और नेता भी भाजपा की शरण में चले जाएंगे। कम से कम अब तो होश में आ जाओ।

 

युवा प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के लिए वाकई में चुनौती का वक्त है इस वक्त यदि वह अपने आप को साबित कर पाए तो आने वाले समय में कांग्रेस में बहुत लंबी छलांग मारते दिखाई देंगे मौजूदा वक्त उनके लिए चुनौतियों भरा है अब देखना होगा कैसे वह इन चुनौतियों से पार पाते हैं और स्वयं को साबित कर पाने में सफल होते हैं।