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देश के नए CDS अनिल चौहान के बारे में कुछ ऐसी बातें जो आपको शायद ना पता हो

आफ्टरमैथ ऑफ ए न्यूक्लियर अटैक नामक बुक लिखी है चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान के द्वारा

 

 

जानिए, अनिल चौहान के बारे में कुछ ऐसी बातें जो शायद आपको ना पता हो

अनिल चौहान मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर विधानसभा के अंतर्गत मूलतः रामपुर ग्राम सभा  ग्वाणा गाँव (खिर्सु) ब्लॉक से है।

यह तो लगभग सभी जानते हैं कि  अनिल चौहान के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहने के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद में बड़ी कमी आई थी जिसके फलस्वरूप कई पूर्वोत्तर राज्यों में सेना की तैनाती में भी कमी आई। चौहान को उग्रवाद के खिलाफ अभियानों का खासा अनुभव है। वह सेना में कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं। वह अंगोला में संयुक्त राष्ट्र शांतिवाहिनी मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक भी रह चुके हैं।

कई मेडल से सम्मानित हैं अनिल चौहान

बतौर डीजीएमओ वह ऑपरेशन सनराइज के मुख्य शिल्पी थे जिसके तहत भारतीय और म्यांमार सेना ने दोनों देशों की सीमाओं के पास उग्रवादियों के विरूद्ध समन्वित अभियान चलाया। चौहान बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना से भी जुड़े थे। इसके साथ ही पूर्वी कमान ने उनके नेतृत्व में भारत-चीन सीमा पर राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में अपना साहस दिखाया था।

अनिल चौहान को राष्ट्र की सेवा के लिए समय-समय पर परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया।

परिवार में कौन-कौन

अपने भाई और भतीजे अमन चौहान के साथ

चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को पौड़ी जनपद के ग्वाणा गाँव मैं हुआ था अनिल चौहान दो भाई और एक बहन है अनिल चौहान जी के पिताजी का नाम श्री सुरेंद्र चौहान और माता जी का नाम श्रीमती पदमा चौहान है अनिल चौहान के पिता जी सुरेंद्र चौहान पेशे से इंजीनियर थे ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग जब पुनः निर्माण किया  जा रहा था तब चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान के पिताजी सुरेंद्र चौहान इस प्रोजेक्ट में चीफ़ इंजीनियर थे अभी वह कई वर्ष पूर्व रिटायर हो चुके हैं 95 वर्षीय सुरेंद्र सिंह चौहान अपने पूरे परिवार के साथ दिल्ली में ही रहते हैं कभी कभी देहरादून के बसंत विहार स्थित घर में रहने को आते रहते हैं फिलहाल देहरादून स्थित बसंत विहार  घर में काफी लंबे समय से पुनर्निर्माण का काम चल रहा है

 

 पढ़ने लिखने का है शौक़  दो किताबें लिख चुके हैं

सीडीएस
अनिल चौहान द्वारा लिखी गई पुस्तक

चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान के साथ उनके भतीजे अमन चौहान काफी लंबे समय तक रहे हैं अमन चौहान बताते हैं कि चाचा जी अनिल चौहान जी को पढ़ने का बहुत शौक है उन्होंने घर में काफी बड़ी लाइब्रेरी बना रखी है लगभग 4 से 5 घंटे वह प्रतिदिन लाइब्रेरी में बिताते हैं उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक “आफ्टर मैथ ऑफ ए न्यूक्लियर अटैक”  2010 में पब्लिश की गई थी परमाणु हमले के बाद के परिणाम पुस्तक में चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान के द्वारा परमाणु हमले के बाद क्या इसके परिणाम होंगे इससे संबंधित जानकारी दी गई है  परमाणु हमले के बाद देश और  देश में रहने वाले नागरिकों के ऊपर क्या असर देखने को मिलता है। उसका वर्णन उनके द्वारा इस पुस्तक में किया गया है इसके साथ ही उन्होंने एक और पुस्तक भी लिखी है।

चीफ डिफेंस स्टाफ श्री अनिल चौहान की इकलौती एक बेटी प्रज्ञा चौहान जो आर्किटेक्ट इंजीनियर है और वर्तमान में नीदरलैंड में रहती है

अनिल चौहान का ससुराल कोटद्वार में है और उनकी पत्नी ने गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से ही शिक्षा ग्रहण की है।

इसे संयोग ही कहा जाएगा जनरल बिपिन रावत के बाद अनिल चौहान भी 11 गोरखा रेजिमेंट से ही हैं

अमन चौहान बताते हैं कि चाचा जी अनिल चौहान लगभग काफी समय से गांव नहीं आए हैं ।

उनके गांव में उनके चचेरे भाई दर्शन सिंह चौहान, बालम सिंह चौहान ,उपेंद्र सिंह चौहान, रहते हैं जैसे ही उनके गांव में यह खबर पता चली कि उनके गांव का बेटा देश का चीफ डिफेंस स्टाफ बन गया है पूरे गांव में खुशी की लहर है सभी चौहान परिवार के घर पर मिठाई लेकर पहुंच रहे हैं।