रुद्रपुर: मंत्री के सामने विधायक किच्छा राजेश शुक्ला की यादाश्त कमजोर है कहने पर जिलाधिकारी को आड़े हाथों लेते हुए विधायक राजेश शुक्ला ने खनन पर आहूत बैठक का बहिष्कार कर अब्दुल कलाम सभागार से उठ गए। मंत्री द्वारा विधायक को रोकने पर विधायक शुक्ला ने कहा कि जिलाधिकारी सवाल पूछने पर संतोषजनक जवाब देने के बजाय आपके सामने मेरी खिल्ली उड़ाई यह बर्दाश्त नहीं है, उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी का रवैया अपमान जनक है तथा अफसर विधायकों को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
आज खनन व आपदा की बैठक में विधायक राजेश शुक्ला ने जिलाधिकारी से सवाल किया कि खनन के टैक्स के रूप में जो मद इकट्ठा हो रहा है उससे खनन क्षेत्र के ग्रामीण सड़कों जो डंपरो से टूट रही हैं। उस पर कितना पैसा खर्च हुआ, आपदा मद में किच्छा क्षेत्र में कहां-कहां पैसा लगा, कोरोना की टेस्टिंग की रिपोर्ट आने में लंबी देरी हो रही है जबकि आप कह रहे हैं कि एक-दो दिन में ही रिपोर्ट आ जाती है।
जिलाधिकारी ने कोई संतोषजनक जवाब देने की बजाय कहा कि किच्छा में काम हुआ है। दैवीय आपदा मद में विधायक ने जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की तो उन्होंने कहा कि आप की यादाश्त कमजोर है इतना सुनते ही विधायक शुक्ला भड़क गए और जिलाधिकारी पर अपमान करने का आरोप लगाते हुए बैठक से उठ खड़े हुए, उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी हमेशा विधायकों को अपमानित करते हैं उनका रवैया जनप्रतिनिधियों के लिए ठीक नहीं है इस बैठक में रहने का अब कोई औचित्य नहीं है।
मंत्री मदन कौशिक ने विधायक राजेश शुक्ला को रोकने का इशारा किया पर वे उठकर यह कहते चले गए कि यह जनता का पैसा है जिलाधिकारी इसके मालिक नहीं है। आपदा, खनन व विकास प्राधिकरण से एकत्र हुआ धन विधायकों के क्षेत्र में उनके प्रस्ताव पर खर्च होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किच्छा विधानसभा क्षेत्र का शांतिपुरी, जवाहर नगर व दुपहरिया, नजीमाबाद और सिरौली कला आदि क्षेत्र खनन के डम्फरो के आवागमन से ग्रामीण सड़कें बुरी तरह टूट गई हैं। इन सड़कों का निर्माण खनन से एकत्र मद से होना चाहिए। जिस पर जिला प्रशासन कोई ठोस जवाब नहीं दे सका। विधायक ने बैठक में खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल उठाया, उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष डेंगू से हजारों लोगों की मौत हुई परंतु साल भर में प्लेटलेट सेपरेट करने वाली मशीन जिला अस्पताल में नहीं लग पाई, जब महिला की मौत पर धरना दिया तब जाकर प्लेटलेट सेपरेट करने वाली मशीन लगी।
उन्होंने कहा कि जब जिलाधिकारी कार्यालय के 500 मीटर की दूरी में जिला अस्पताल का यह हाल है तो पूरे जिले के अन्य अस्पतालों का क्या हाल होगा, जिलाधिकारी साढे 3 साल में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एक बार भी नहीं पहुंचे, केवल बैठक में गाना गाने से नहीं धरातल पर काम करना होगा।
Sahi kiya D.M. ne.