रिखणीखाल : निर्धन छात्रा को मदद की दरकार, भविष्य भगवान भरोसे..!

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रिपोर्ट: कुलदीप रावत

पौड़ी  : राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोटड़ी सैंण रिखणीखाल में कक्षा सातवीं में कुमारी नीलम पिता स्वर्गीय विक्रम सिंह, माता पीतांबरी देवी, निवासी कोटड़ी पल्ली,ढौंर , रिखणीखाल ने बच्ची को हाथ पैर संभालते ही छोड़ दिया।

दादा  का स्वास्थ्य भी जवाब दे गया…

नियति के क्रूर मजाक ने उसे बूढ़े लगभग 85/80वर्षीय दादा दादी स्वर्गीय बूथालाल एवं चेपड़ी देवी की गोद में बिठा दिया।दादा  का स्वास्थ्य भी जवाब दे गया विगत दो वर्ष पूर्व वो भी  चल बसे। राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोटड़ी में कक्षा पांचवीं तक नीलम ने खो-खो, कबड्डी तथा लोकनृत्य लोकगीत में राज्य स्तर तक प्रतिभाग किया। प्रतिवर्ष विद्यालय के अध्यापकों ने उसे स्कूल बैग,कापी पेन आदि सुविधा मुहैया कराई। नीलम की आगे की पढ़ाई चल रही है उसे देहरादून के हिमाद्रि शिक्षण संस्थान के लिए दादी की सलाह ली लेकिन दादी ने मना कर दिया वो कहा कि मेरे ही साथ रहेगी।

नीलम के आगे का भविष्य दादी की सांस और आस…

छेत्र पंचायत सदस्य विनीता ध्यानी व सामाजिक कार्यकर्ता मंगत रमोला ने बताया कि अब नीलम के आगे का भविष्य दादी की सांस और आस पर टिका है। लेकिन यह विषय झकझोर देने वाला है कि दादी के बाद उसे देखने वाला कौन होगा? बड़ी संस्थायें बड़ी बातें अभी नीलम की समझ और दूरदृष्टि से कोसों दूर हैं। कोई उसके जीवन का सहारा बन सके यह देखना यक्ष प्रश्न सा प्रतीत हो रहा है।

दुनिया में कई फरिश्ते भी हैं जिन्हें देखना ढूंढना बाकी…

काश सरकार व जनप्रतिनिधि ऐसी दयाभाव से उसे पढ़ा लिखाकर , संरक्षण देकर उसके खेवनहार बन सकें तो अप्रतिम खुशी होगी। आजकल की व्यस्ततम जीवनशैली दौड़-भाग में यद्यपि फुरसत किसे, परंतु उम्मीदों से भरी दुनिया में कई फरिश्ते भी हैं जिन्हें देखना ढूंढना बाकी है!!

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