इस बार सावन के सोमवार पर कोविड-19 भारी…

रिपोर्ट: सुशील कुमार झा

भगवान शिव को समर्पित सावन के महीने की शुरुआत सोमवार से हो गई है। यानी इस बार सावन का पहला दिन ही सोमवार है। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव इस माह में सोमवार का व्रत करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

लेकिन इस बार सावन के सोमवार पर कोविड-19 भारी है। कोविड-19 के चलते अंतरराज्यीय व अंतर जनपदीय सीमाओं को सील किया गया है साथ ही इस बार राज्य सरकार द्वारा कांवड़ मेले को भी स्थगित कर दिया है। ऐसे में जनपद में आने वाले तमाम बाहरी कावड़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। बार्डर पर विशेष इंतेज़ाम किए गए है। सिर्फ उन्ही लोगो के लिए जनपद में प्रवेश खोला गया है जो या इमरजेंसी या उत्तराखंड प्रवासी है या फिर हरिद्वार गंगा में अस्तियाँ विसर्जन करने के लिए आ रहे है।

यात्रियों की माने तो उन्हें बॉर्डर से ही वापस भेजा जा रहा है। हालांकि कुछ यात्री ऐसे भी है जिनके पास ई-पास मौजूद है लेकिन उन्होंने बॉर्डर पर बताया गया है कि तमाम पास तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए गए है।इसके साथ ही कुछ यात्री ऐसे है जो मेडिकल चैकउप या इमरजेंसी के चलते जनपदीय सीमा में दाखिल होना चाह रहे है लेकिन उन्हें भी वापस भेज दिया गया। बॉर्डर पर यात्रियों में रैला लगा है, वाहनों की लंबी लंबी कतारें देखी जा रही है।

वही बॉर्डर पर मौजूद अधिकारी ने बताया राज्य सरकार द्वारा इस बार कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई है। जिसके लिए बॉर्डर पर पीएससी फोर्स व सिविल फोर्स लगाई गई है। जो लोग स्नान या कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार आ रहे है उन्हें बॉर्डर से ही वापस भेजा जा रहा है। इसके साथ ही जो लोग इमरजेंसी या उत्तराखंड प्रवासी है या फिर हरिद्वार में अस्तियाँ विसर्जन के लिए आ रहे है उन्हें नियम अनुसार प्रवेश दिया जा रहा है।

सावन माह का पहला सोमवार है और ऐसे में शिवभक्त हरिद्वार का रुख कर रहे है। हालांकि तमाम शिव भक्तों या बाहरी यात्रियों को बॉर्डर से ही वापस भेजा रहा है।लेकिन मौजूदा हालात दिखते है कि बॉर्डर पर मात्र वाहनों से आने वाले यात्रियों को ही रोका जा रहा है, जबकि पैदल आने वाले लोगो से कोई पूछताछ नही हो रही है।ऐसे में पैदल आने वाले कावड़ियों के प्रवेश पर कैसे रोक लग पाएगी ये बड़ा सवाल है।

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